GUA को समझें
GUA को समझने से पहले हम असल समस्या को समझने की कोशिश करते है की, जातिवाद आज आधुनिक भारत मे क्यों बना हुआ है, क्यों भारत सरकार जातियों को पूर्णतः खत्म / समाप्त नहीं कर पा रही है जबकि आज जातियां केवल पुरानी पड़ी अंधविश्वासी तथा भ्रष्ट व्यवस्था के सिवा कुछ नहीं है।
(उपरोक्त सरकारी आरक्षण अनुसार, जबकि असल मे ST+SC+OBC जनसख्या लगभग 70% है।)
यहां दोनों वर्गों के बीच अंतर —
- अनारक्षित — ये आरक्षण का विरोध करते हैं क्योंकि इन्हे लगता है कि इनका हक छीना जा रहा है।
- आरक्षित — ये आरक्षण का समर्थन करते हैं और लाखो सालों की गरीबी, अत्याचार और छुआछूत के कारण आरक्षण को अपना हक मानते हैं जो न्यायसंगत भी है।
- आज 2018 मे कम से कम शहरों मे (30% भारत) माना जा सकता है कि आरक्षित अनारक्षित वर्ग मे समानता तो है पर जब तक जातियां है तब तक जातिवादी असमानता जीवित रहेगी।
- आज 2018 मे गावों की बात करे (70% भारत) तो शहरों की तुलना मे जातिवादी अंधविश्वास कई गुना अधिक है इसलिए जातिवादी अपराध आज भी देखने को मिलते हैं।
- एक बात ये भी आती है कि लोग अपने पूर्वजों के वंश ,जाति की पहचान और जातिगत “समाज” से अलग भी नहीं होना चाहते इसलिए सम्पूर्ण भारत मे कहीं न कहीं झूठी जातिय ऊच-नीच, छुआ-छूत, राग-द्वेष और सम्मान–असम्मान का संघर्ष बना ही रहता है।
इन सभी करणों से कैसे हो सकता है कि जातिवाद खत्म हो जाए या भारत सरकार जातियों को पूर्णतः खत्म / समाप्त कर दे ...
फिर भी यदि सरकार जातियों को बलपूर्वक खत्म कर भी दे तो आरक्षित लोगों का हक मारा जाएगा और लगभग 50% लोगों के साथ सीधा अन्याय हो जाएगा।
कानून व्यवस्था तो दूर भारत मे गृह युद्ध जैसे हालात पैदा हो जाएंगे।
ऐसे मे — समर्पण अधिनियम 2020