समर्पण अधिनियम (Give Up Act) २०२०

यह सरकार के द्वारा एक ऐसा कानून होगा जिसका प्रमुख लक्ष्य:
" जातिवादी प्रदूषण से मुक्त समाज बनाना होगा "

इसके अंतर्गत —

  1. भारत का कोई भी व्यक्ति, नागरिक या किसी भी धर्म (क्योकि जातिगत पहचान लगभग सभी धर्मो मे होती है) का अनुयायी अपने उपनाम (सरनेम) की जगह अपने धर्म का नाम लिखेगा।
  2. जो लोग भगवान धर्म मे विश्वास रखते हो या न रखते हो या किसी विशेष धर्म से जुड़ाव न दिखाना चाहते हों या सर्वधर्म सम्मान रखते हों या अन्य किसी सामाजिक बाधा मे हो तो वे धर्म की जगह "इंडियन" (Indian) लिख सकते हैं।
  3. यह सरकार के लिए स्वीकृति होगी कि GUA अपनाने वाले लोग जाति को शून्य मानना चाहते हैं।
    यहां “जातिशून्य” का मतलब लोग जाति को प्रथा मानकर उसे पूर्णतः खत्म करने की स्वीकृति देते हैं । “स्वीकृति” का मतलब जब यहां देश की कम से कम 60-70% जनता इस GUA मे रजिस्टर हो जाएगी तो सरकार को आधिकारिक रूप से देशभर मे जातिशून्य करने की शक्ति स्वतः ही प्राप्त हो जाएगी।
  4. इस GUA को अपनाने के बाद भी आरक्षण जारी रहेगा।
  5. कोई भी व्यक्ति GUA को पूर्णतः स्वेच्छा / शांत दिमाग से ही अपनाएगा क्योंकि एक बार अपनाने के बाद उसे छोड़ा जा सकना पूर्णतः अमान्य (Invalid) होगा।
  6. इस अधिनियम को सीधे "आधार प्रमाण पत्र" द्वारा जोड़ देने पर आधार एक पूर्ण कानूनी दस्तावेज़ बन जाएगा जिससे केवल सरकार को पता चल पाएगा कि कितने व्यक्तियों द्वारा इसे अपना लिया है और कुल कितने प्रतिशत लोगों द्वारा स्वीकृति दी गयी है।
  7. आवश्यकता पड़ने पर इसे ड्राइविंग लाइसेन्स, मतदाता परिचय पत्र तथा अन्य पत्रों मे एकीकृत करने का प्रावधान भी होगा।
  8. इसे अपनाने की प्रक्रिया बेहद सामान्य होनी चाहिए –
    • सरकार द्वारा इस कानून के लिए का बनाया हुआ विशेष स्टैम्प पेपर। (सरकार द्वारा सब्सडी)
    • नोटरी के वकील द्वारा मुफ्त नोटरी। (सरकार द्वारा सब्सडी)
    • थानेदार या SDM या अन्य विशेष अधिकारी के समक्ष आवेदक की शपथ तथा आधार पत्र मे पंजीकरण / अपडेट करने हेतु। (दस्तावेज़ो की कॉपी)
    • अखबारों मे प्रकाशित करने की जरुरत नहीं, "आधार परिचय पत्र" ही मुख्य दस्तावेज़ होगा। (आइडेंटीटी फ़्रौड़ से बचने हेतु आधार नंबर ही मुख्य पहचान होंगे।)
    • नामों की एकता से बचने के लिए नामकरण का प्रारूप "व्यक्ति का नाम + माता या पिता का नाम + धर्म या इंडियन" होगा। (सिखों के लिए सिंह का गुरु आदेश है ही।)
    • यहां पर आधार कार्ड मे ही जाति प्रमाण पत्र अपलोड कर देने पर उपनाम भी बदल जाएगा और आरक्षण का प्रमाण (वर्तमान तथा संतति के लिए) भी बना रहेगा।
  9. इसे अपनाने के बाद व्यक्ति आधिकारिक रूप से अपने आप को समाज मे जाति मुक्त कह पाएगा।
  10. सरकार इसे अपना आधिकारिक अभियान घोषित करेगी जिसे भारत भर मे लगातार प्रचारित किया जाएगा।

इसकी निम्न विशेषताएँ होंगी —

  1. यदि किसी लड़के या लड़की द्वारा GUA अपनाया जाता है तो आने वाली पीढ़ी तो स्वतः ही इस कानून मे समाहित होंगी।
  2. यदि आज माता-पिता GUA अपना लेते हैं और संतान बालिग हो संतान की इच्छा पर निर्भर होगा GUA को अपनाना।
  3. इस GUA के अनुसार अपनाए हुए लड़का या लड़की (जोड़े मे एक द्वारा अपनाए) एक दूसरे से विवाह करेंगे तब भी अगली संतति स्वतः ही GUA मे समाहित होगी, बिना किसी लैंगिक भेदभाव के।

फायदे —

  1. जो भी लोग इसे अपनाएँगे वे जातिवाद रूपी बीमारी से पूर्णतः मुक्त हो जाएंगे इससे एक स्वच्छ समाज का निर्माण होगा जो लाखों सालों से नहीं हो पा रहा था।
  2. समय के साथ साथ जब यह पूर्ण भारत मे लागू हो जाएगा तो सरकार आर्थिक आधार पर लोगों को आरक्षण दे पाएगी जिससे कि बेहद गरीब भारतीयों के साथ भी न्याय हो पाएगा।

संशय —

शुरुआत मे कुछ लोग सोच सकते हैं कि किस तरह GUA सभी समाजों द्वारा कैसे अपनाया जाएगा या फैलेगा भी कि नहीं पर यहां हम देखेंगे कि GUA फैलेगा भी, सामाजिक समभाव समरसता भी बढ़ाएगा और समय के साथ साथ जातियों और जातिवाद दोनों को ही खा जाएगा।

आप सोचेंगे कैसे?

एक वाक्य मे कहे तो – "सामाजिक एकता व अखंडता"

GUA युवाओं के बीच एकता व अखंडता की एक मिसाल बनेगा जिसके कारण हर युवा इसे अपनाना चाहेगा क्योकि आज के अधिकांश भारतीय युवा बदलाव के समर्थक है और जातिवाद को बीते कल की बात मानते है, साथ ही साथ आप समझ सकते हैं की कोई भी एक शक्तिशाली जाति यदि 2-3% हो जाती है तो उसका भारत भर मे कितना प्रभाव रहता है ऐसे मे यदि GUA शुरुआत मे केवल 5-10% लोगों द्वारा ही अपनाया जाए तो भी उस समाज मे एकता और अखंडता देखते ही बनेगी जिसमे सभी लोग एक दूसरे से निर्विकार / निष्पक्ष रूप से जुड़े होंगे ऐसे मे GUA का एक आदर्श बलशाली समूह बनेगा जिसका पूरा 100% भारतीय समाज स्वतः ही हिस्सा बनना चाहेगा।

सीमाएँ —

कुछ लोगों का यहां तर्क हो सकता है कि भारत सरकार किसी धर्म या पंथ को स्वयं प्रोत्साहित नहीं कर सकती है क्योंकि भारत धर्मनिरपेक्ष तथा पंथनिरपेक्ष राज्य है ऐसे मे GUA को प्रोत्साहित करना असंवैधानिक होगा।

पर हम यहां देखेंगे कि यह किसी धर्म या पंथ विशेष की कोई बात है ही नहीं, यह बात है भारत के लोगों और समाजिक एकता की जिसका वर्णन भारत के संविधान की उद्देश्यका मे दिया गया हैं।